भारत की मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की बारी – पड़ोसी विस्तारवादी मुल्क में लाचारी
ख़बर दृष्टिकोण।
भारत का दुनियां में आगाज़ – पड़ोसी, विस्तारवादी देश अब आएंगे बाज़ – एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर आज जहां पूरी दुनियां लोकतंत्र के सबसे पुराने और लोकतंत्र के सबसे बड़े देश अमेरिका और भारत के एक और एक ग्यारह होने के ऐतिहासिक क्षणों को देखकर अचंभे में हैं,वहीं दूसरी और पड़ोसी और विसरवादी देश तल्खी में हैं, दूसरे शब्दों में उन्हें मिर्ची लगी है जिसे ना निगल पा रहे हैं उगल सकते हैं। भारत की अमेरिका में स्टेट विजिट याने राजकीय यात्रा के न्यूयॉर्क में प्रथम चरण की सफ़लता के बाद भारतीय समय अनुसार देर रात याने 22 जून 2023 कोवाशिंगटन डीसी पहुंचे जहां हम कह सकते हैं भारतकी वाशिंगटन डीसी में दस्तक सुपरपावर नतमस्तक याने यही वह गढ़ है जहां भारत की प्रतिष्ठा और सफलता के झंडे गड़ेगें, ऐतिहासिक गाथा रचेगी, भारत के मैन्युफैक्चरिंग हब बनने का नया अध्याय जुड़ेगा क्योंकि यहीं से भारत में विदेशी निवेश आने, व्यापार रक्षा तकनीकी अंतरिक्ष सहित अनेक क्षेत्रों में समझौते होंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति से द्विपक्षीय वार्ता, अमेरिकी संसद में संबोधन, राजकीय सम्मान, इक्कीस तोपों की सलामी, राजकीय रात्रि भोज जैसे अति विशिष्ट सम्मान जो अभी तक दो व्यक्तित्वों को ही मिला है, अब तीसरे व्यक्ति हमारे भारतीय पीएम को मिलेगा। मेरा ऐसा मानना है कि हर कदम के पीछे कुछ ना कुछ रणनीति कूटनीति होती है। पहला तो दोनों देशों में 2024 में चुनाव है, अमेरिका में 50 लाख से अधिक मूल भारतीय रहते हैं जो राष्ट्रपति चुनने का महत्वपूर्ण रोल अदा करते हैं, जिससे अब उन्हें भारत की आवश्यकता है। दूसरा चीन के पर कतरने हैं जिसकी भारत की हिम्मत जाबाजी और कछल जज्बे से चीन का मुकाबला कूटनीतिक तौर पर बड़ी चतुराई से कर सकता है। शायद यही वजह है कि चीन इस 21-24 जून 2023 के दौरे से खुश नहीं है परंतु भारत कह रहा है, तुझको मिर्ची लगी तो मैं क्या करूं? यह वजह है कि 21 जून 2023 को पड़ोसी मुल्कों के एक आतंकी अमीर रजा को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने केअमेरिकी प्रस्ताव जिससे भारत ने समर्थन दिया था चीन ने वीटो पावर से गिरा गयाl दूसरी ओर 18 जून 2023 को अमेरिकी विदेश मंत्री चीन दौरे पर गए थे जो खाली हाथ लौटे इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा चीनी राष्ट्रपति की तुलना तानाशाह से कर दी जिस पर चीन ने भी तुरंत रिएक्शन देते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति को स्वार्थी करार दिया इसीलिए अब सुपर पावर भारत के पक्ष में खुलकर सामने आ गया है उधर यूनाइटेड नेशन के ग्राउंड में भी 135 से अधिक विदेशी राष्ट्रों ने योग का एक कार्यक्रम में स्थालेकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड मैं अपना नाम दर्ज कराया क्योंकि अब दोनों महा शक्तियां एक और एक ग्यारह होने जा रही है- इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत की वाशिंगटन डीसी में दस्तक सुपर पावर नतमस्तक, भारत की मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की बारी पड़ोसी विस्तार वादी मुल्क में लाचारी।
साथियों बात अगर हम पीएम के वाशिंगटन डीसी पहुंचने की करें तो, यहां एयरपोर्ट पर उनको गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।गार्ड ऑफ ऑनर एक सम्मान है, जो किसी वीवीआइपी को दिया जाप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका की फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन के साथ वर्जीनिया में नेशनल साइंस फाउंडेशन का दौरा किया. यहां फर्स्ट लेडी और पीएम मोदी अमेरिका और भारत के छात्रों से मुलाकात कर रहे हैं। अमेरिकी विदेश विभाग के उप-प्रवक्ता ने कहा कि पीएम का यह दौरा द्विपक्षीय संबंधों को लेकर है। भारत और अमेरिका के बीच अहम पार्टनरशिप है। यह एक राजकीय यात्रा है और पिछली द्विपक्षीय यात्राओं से अलग है। इसकी अन्य यात्रा के साथ इसकी तुलना करना सही नहीं है। इस दौरे से दोनों देशों में साझेदारी और मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि हम पीएम मोदी का स्वागत करने के लिए बेहद उत्सुक हैं।पीएम का आगे का कार्यक्रम क्या है? पीएम वॉशिंगटन डीसी में विलार्ड इंटरकांटिनेंटल होटल में रुके हैं। यहां वह किन-किन कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे, जानिए-22 जून – शाम 7.30 बजे – वाइट हाउस में मोदी का स्वागत- रात 8.30 बजे – मोदी-बाइडेन में द्वीपक्षीय बातचीत- रात 12.15 बजे – अमेरिकी कांग्रेस में संबोधन23 जून- सुबह चार बजे – वाइट हाउस में निजी भोज।
साथियों बात अगर हम वाशिंगटन डीसी में भारतीय दस्तक सुपर पावर नतमस्तक की करें तो, न्यूयॉर्क में जीती दुनिया, अब वॉशिंगटन में दिलों पर राज करने वाले हैं। पीएम के अमेरिका दौरे के पहले दिन का आगाज बेहद धमाकेदार रहा है। न्यूयॉर्क के संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का नेतृत्व करके और भारतीय योग परंपरा का इतिहास बताकर उन्होंने पूरी दुनिया जीत ली। इससे पहले वह दुनिया के सबसे अमीर शख्स और ट्वीटर व टेस्ला के मालिक एलन मस्क से भी मिले। एलन मस्क ने पीएम मोदी कीजबरदस्त तारीफ करते हुए खुद को प्रधानमंत्री का जबरदस्त फैन बताया। अब पीएम मोदी का दूसरे दिन का कार्यक्रम आज वॉशिंगटन में है, जहां वह लोगों के दिलों पर राज करने वाले हैं। दो दिन पहले से भी पीएम के प्रशंसक यहां वॉशिंगटन में डेरा डाले हुए हैं। पीएम के अमेरिका दौरे के पहले दिन का आगाज बेहद धमाकेदार रहा है। न्यूयॉर्क के संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का नेतृत्व करके और भारतीय योग परंपरा का इतिहास बताकर उन्होंने पूरी दुनिया जीत ली। इससे पहले वह दुनिया के सबसे अमीर शख्स और ट्वीटर व टेस्ला के मालिक एलन मस्क से भी मिले। एलन मस्क ने पीएम की जबरदस्त तारीफ करते हुए खुद को प पीएम का जबरदस्त फैन बताया। अब पीएमl का दूसरे दिन का कार्यक्रम आज वॉशिंगटन में है, जहां वह लोगों के दिलों पर राज करने वाले हैं। दो दिन पहले से भी पीएम के प्रशंसक यहां वॉशिंगटन में डेरा डाले हुए हैं।
साथियों बात अगर हम सुपर पावर के भारत पर नतमस्तक के कारणों की करें तो पीएम अमरीका इस समय अमरीका की स्टेट विज़िट पर हैं। इस दौरान अचानक अमरीका के सुर बदल गए हैं और अमरीकी राष्ट्रपति ने चीन के राष्ट्रपति शी के लिए एक चौंका देने वाली बात कह दी है। अमरीका के विदेश मंत्री का18 जून को चीन के दौरे पर राजधानी बीज़िंग पहुंचे। अपने इस दो दिवसीय दौरे के दौरान ब्लिंकन ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ( विदेश मंत्री से मिले। यह चीन दौरा अमरीका और चीन के संबंधों में सुधार के लिए काफी अहम था। 2018 के बाद से यह पहला मौका है जब किसी हाई लेवल अमरीकी अधिकारी ने चीन का दौरा किया हो। यानी कि करीब 5 साल बाद किसी हाई लेवल अमरीकी अधिकारी ने चीन का दौरा किया था। ब्लिंकन के साथ ही जिनपिंग ने भी इस दौरे के दौरान दोनों पक्षों में सकारात्मक वार्ता के बारे में जानकारी दी थी। ऐसे में लग रहा था कि आने वाले समय में अमरीका और चीन के संबंधों में सुधार देखने को मिलेगा। पर हाल ही में अमरीकी राष्ट्रपति ने एक बड़ी बात कह दी है।अमरीका के सुर बदलना एक इत्तेफाक मात्र नहीं है। दो दिन पहले ब्लिंकन के अमरीका दौरे के बाद जहाँ लग रहा था कि अमरीका आगे बढ़कर चीन से संबंधों को सुधारने की पहल कर रहा है, दो दिन में ही अमरीका के सुर बदल गए हैं। पर क्यों? जवाब है भारतीय पीएम की अमरीका स्टेट विज़िट। पीएम किसी सामान्य अमरीका दौरे पर नहीं, बल्कि स्टेट विज़िट पर हैं। यानी कि राजकीय दौरा। स्टेट विज़िट पर खास आमंत्रण मिलने पर ही जाया जाता है और यह हर किसी को नहीं दिया जाता है। स्टेट विज़िट का आमंत्रण सिर्फ उन्हीं देशों के राजनेताओं को दिया जाता है जिन्हें वो देश अपना करीबी सहयोगी और मित्र मानता है।भारत और चीन के संबंधों में एलएसी को लेकर चल रही खटास भी जगजाहिर है। ऐसे में पीएम मोदी की अमरीका स्टेट विज़िट के दौरान अमरीकी राष्ट्रपति का चाइनीज़ राष्ट्रपति जिनपिंग को तानाशाह बताना इस बात को दर्शाता है कि अमरीका भारत को एक करीबी मित्र और सहयोगी के तौर पर देखता है और भारत-चीन विवाद पर पूरी तरह से भारत के साथ है।
साथियों बात अगर हम इनके अमेरिका पर शाब्दिक पलटवार की करें तो, बाइडन के बयान पर चीन की तरफ से पलटवार किया गया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस बारे में बयां देते हुए कहा, अमरीकी पक्ष द्वारा इस तरह की टिप्पणी बेहद हास्यास्पद और गैर जिम्मेदाराना है।अमरीका गंभीर रूप से बुनियादी तथ्यों, डिप्लोमैटिक प्रोटोकॉल और चीन की राजनीतिक गरिमा का उल्लंघन करता है। अमरीका की तरफ से यह टिप्पणी खुले तौर पर राजनीतिक उकसावा है।
साथियों बात अगर हम अंतरराष्ट्रीय स्तर परआतंकवादी हमले के आरोपी पर चीन द्वारा वीटो पावर इस्तेमाल करने की करें तो, भारत की कोशिशों की पर पानी फेर दिया है. चीन ने संयुक्त राष्ट्र में 26/11 मुंबई हमले के मास्टर माइंड और लश्कर ए तैयबा के आतंकवादी साजिद मीर को वैश्विक आतंकी की लिस्ट डालने पर अड़ंगा लगा दिया है.
अमेरिका ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र में लश्कर ए तैयबा के आतंकी साजिद मीर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करना का प्रस्ताव लाया था, जिसका भारत ने भी समर्थन किया था. इस पर चीन ने अपनी चालबाजी दिखाते हुए पाकिस्तान का साथ दिया और संयुक्त राष्ट्र में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी के रूप में 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों में शामिल होने के लिए भारत और अमेरिका के प्रस्ताव को रोक दिया।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत की वॉशिंगटन डीसी में दस्तक – सुपर पावर नतमस्तक।भारत की मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की बारी-पड़ोसी विस्तारवादी मुल्क में लाचारी।भारत का दुनियां में आगाज़ – पड़ोसी, विस्तारवादी देश अब आएंगे बाज़।
*-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*