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कोरोना टीकाकरण: ‘वैक्सीन के लिए अलग-अलग दरें क्यों?’, राजस्थान उच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया

जयपुर
टीकाकरण अभियान का तीसरा चरण 1 मई से पूरे देश में 18 से 44 वर्ष की आयु के सभी लोगों के लिए शुरू होने जा रहा है। इससे दो दिन पहले, राजस्थान उच्च न्यायालय गुरुवार को केंद्र और राज्य सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा गया कि एक ही टीका के लिए अलग-अलग दरें क्यों रखी गई हैं। अदालत ने दो वैक्सीन निर्माताओं – सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक से सवाल किया – एक वैक्सीन के लिए अलग-अलग दरें क्यों तय की जा रही हैं?

जनहित याचिका पर कोर्ट ने जारी किया नोटिस
जस्टिस सबीना की पीठ ने पत्रकार मुकेश शर्मा की जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया। अगली सुनवाई 12 मई को होनी है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता अभय भंडारी ने कहा कि देश भर में एक वैक्सीन के लिए तीन दरें तय की गई हैं। केंद्र सरकार कोविशिल्ड और कोवाक्सिन का टीका 150 रुपये में देगी। वहीं, राज्य सरकार कोविशिल्ड को 300 रुपये में और कोवाक्सिन को 600 रुपये में लेगी।

वैक्सीन की विभिन्न दरों पर प्रश्न
अधिवक्ता अभय भंडारी ने आगे कहा कि निजी अस्पतालों को कोविशिल्ड को 600 रुपये और कोवाक्सिन को 1,200 रुपये में मिलेगा। उन्होंने तर्क दिया कि यह केंद्र सरकार और निजी कंपनियों की ओर से संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का स्पष्ट उल्लंघन था।

 

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अगली सुनवाई 12 मई को
याचिका में कहा गया कि केंद्रीय बजट में कोरोना टीकाकरण के लिए 35,000 करोड़ रुपये का स्पष्ट प्रावधान था। साथ ही, पीएम कार्स का अनुमानित कोष संग्रह 900 से 1,000 करोड़ रुपये था। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में, सरकार को देश भर में मुफ्त टीकाकरण अभियान चलाना चाहिए, क्योंकि सरकार ने टीकाकरण की तैयारी बहुत पहले कर ली थी।

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