खबर दृष्टिकोण
संवाददाता पुरवा उन्नाव
पुरवा उन्नाव कैसा खेल खेल रही है उत्तर प्रदेश की सरकार की बड़ी आसानी से प्रत्येक तहसील से सरकार को फायदा हो रहा है करोड़ों में।
प्राप्त विवरण के अनुसार फिलहाल आपको अवगत करातें है जनपद उन्नाव की पुरवा तहसील सें जहां मौजूदा हालत में लेखपालों की संख्या लगभग 82 होनी चाहियें परन्तु 35 लेखपाल ही चलारहें है पुरवा तहसील यदि 50 लेखपाल और होते तो कोरम पूरा होता तो 50 लेखपालों की एक वर्ष की शैलरी बनती है लगभग 2 करोड़ चार लाख रुपया इसीतरह से ही दो तहसीलदार और तीन नायब तहसीलदार की नियुक्ती होनी चाहिये पर यहां तो सिर्फ और सिर्फ एक तहसीलदार और एक ही नायब तहसीलदार से काम चल रहा है अब अगर एक तहसीलदार और दो नायब तहसीलदार और होते तो इन तीन तहसीलदारों की अगर वार्सिक शैलरी देखी जाय तो लग भग 19 लाख 80 हजार रुपया सालाना सरकार को फायदा पहुंच रहा है इसी तरह से पुरवा तहसील में 8 राजस्व निरीक्षकों की पोस्टिंग होनी चाहियें पर यहां तो मात्र 4 ही राजस्व निरीक्षक से ही पूरी तहसील का काम लिया जारहा है अब अगर देखा जाय तो चार राजस्व निरीक्षकों की सालाना शैलरी लगभग 20 लाख 16 हजार होती है इसी तरह से तहसील में चैनमैन 8 होने चाहिये थे पर यहां तो मात्र एक ही चैन मैन से पूरी तहसील का वर्क लिया जारहा है ऐसे मे देखा जायतो 7 चैन मैन की नियुक्ती और होनी चाहिये वही इन 7 चैन मैनों की सालाना शैलरी लगभग 16 लाख 80 हजार होती है एसे में यूपी की योगी आदित्य नाथ की सरकार को केवल जनपद उन्नाव की मात्र पुरवा तहसील से 2 करोड़ 60 लाख रुपया की सालाना बचत हो रही है यह सिलसिला लगभग तीन वर्षो से जारी है तो जब सरकार को मात्र एक तहसील से लगभग 2 करोड़ 60 लाख रुपया की सालाना बचत होरही तो फिर क्या कहने क्या सरकार इन रिक्त पदों की भरती करेगी या यूहीं चलती रहेगीं यह तहसीले क्या लोगों को रोजगार नही देना चाहती है सूबे की सरकार।