फल फूल रखो प्रभु के आगे तो प्रसाद बन जाता है, शिष्य झुके शिक्षक रूपी गुरु के आगे तो इंसान बन जाता है
भारत की शिक्षा नीति को वैश्विक मानकों पर पुनर्स्थापित करना विश्व गुरु बनने की नीव, जिसपर भारत चल पड़ा है – एडवोकेट किशन भावनानी
गोंदिया – भारत में प्रतिवर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। शिक्षक का नाम आते ही मस्तिष्क को आकार देने, उत्कुष्टता और प्रतिबद्धता दर्शाने की एक मूरत सामने उभर आती है।एक अच्छा शिक्षक एक मोमबत्ती की तरह होता है वह खुद प्रज्वलित होकर दूसरों को रास्ता दिखाता है। अज्ञानता को दूर करके ज्ञान की ज्योत जलाता है। गलत राह पर भटकने से बचाता है और भटके हुए को सुधारता है। वह शिक्षक ही होता है जो वर्तमान समय में प्ले स्कूल से उच्च शिक्षा तक दीक्षा देकर मानवीय मस्तिष्क को तराश कर विद्या रूपी धन देकर जिंदगी संवारता है।इसलिए बड़े बुजुर्गों ने भी कहा है यदि फल फूल रखो प्रभु के आगे तो प्रसाद बन जाता है,शिष्य झुके अगर शिक्षक रूपी गुरु के आगे तो इंसान बन जाता है।
साथियों हर व्यक्ति के सफलताओं की मंजिलों के नए-नए आयामों तक पहुंचने के मूल मुख्य स्त्रोतों में महत्वपूर्ण रोल एक शिक्षक, अध्यापक, प्राध्यापक या शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हर उस व्यक्ति का होता है जिसकी उंगली पकड़कर हमने शिक्षा के बड़े-बड़े आयामों को प्राप्त किया इसलिए आज हर एक व्यक्ति को एक शिक्षक को सैल्यूट कर उसका शुक्राना अदा करना चाहिए। भविष्य के युवाओं के साथ ही मस्तिष्क को आकार देने में शिक्षकों की उत्कृष्टता और प्रतिबद्धता को सैल्यूट। परंतु मेरा मानना है कि इसके साथ ही हर नागरिक को, स्वामी विवेकानंद की मानव-निर्माण शिक्षा, श्री अरबिंदो की एकात्म शिक्षा और महात्मा गांधी की बुनियादी शिक्षा के वास्तविक सार को चित्रित करने वाली, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लिए आओ शिक्षा का दीप प्रज्वलित कर भारत को विश्व गुरु बनाने के यज्ञ में अपनी भागीदार रूपी आहुति प्रदान करें।
साथियों बात अगर हम शिक्षक की करें तो, हमारे जीवन में शिक्षकों को सबसे महत्वपूर्ण रोल है, क्योंकि वे हमें न सिर्फ किताबी ज्ञान देते हैं, बल्कि वे प्रैक्टिकली आने वाली चुनौतियों के लिए हमें जागरूक और तैयार भी करते हैं। देखा जाए तो हर वह इंसान शिक्षक है जिससे आप नैतिक चीजें सीखने को पाते हैं। घर में मां बाप या बड़ा भाई बहन या कोई अन्य, स्कूल में टीचर, कॉलेज में प्रोफेसर यहां तक कि आप अपने सहपाठी या कलीग से भी आए दिन सीखने को पाते हैं, यह सभी शिक्षण का हिस्सा है। यह सीखने समझने की कला हजारों साल से चली आ रही है, ऐसे में हम हमेशा से शिक्षण या शिक्षक के आसपास रहे हैं।
साथियों बात अगर हम शिक्षक दिवस पर विभिन्न कार्यक्रमों वेबीनारों, चर्चाओं, डिबेट की करें तो शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की चर्चा करना सोने पर सुहागा साबित होगा क्योंकि इसका वाहक विशेष रूप से शिक्षक होते हैं, इसीलिए शिक्षक और हम सभी नागरिकों को आज संकल्प लेना होगा कि शिक्षा क्षेत्र में भारत के विश्व गुरु बनने इस यज्ञ में सभी को सहभागिता रूपी आहुति देना होगा।
साथियों बात अगर हम एनईपी 2020 को वैश्विक मानकों पर पुनर्स्थापित कर विश्व गुरु बनने की करें तो 2 सितंबर 2022 को केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने ऑस्ट्रेलिया औरइंडोनेशिया के साथ द्विपक्षीय बैठकों में शिक्षा और कौशल विकास में सहयोग मजबूत करने का आह्वान किया, बाद में उन्होंने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच उच्च शिक्षा, अनुसंधान और कौशल विकास में जीवंत सहयोग है। बचपन और स्कूली शिक्षा में गहन जुड़ाव हमारे दोनों देशों में बच्चों को जीवन भर सीखने के अवसर प्रदान करने के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेगा।
साथियों बात अगर हम माननीय केंद्रीय प्रौद्योगिकी मंत्री द्वारा 3 सितंबर 2022 को एक शिक्षा शिखर सम्मेलन 2022में संबोधन की करें जो पीआईबी के अनुसार उन्होंनेपीएचडीसीसीआई शिक्षा शिखर सम्मेलन, 2022 को संबोधित करते हुए कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से लेकर अब तक एनईपी भारत का सबसे बड़ा पथ-प्रदर्शक सुधार है क्योंकि नईशिक्षा नीति न केवलप्रगतिशील और दूरदर्शी है, बल्कि 21वीं सदी के भारत की उभरती जरूरतों और आवश्यकताओं के अनुरूप भी है। उन्होंने कहा कि इसमें केवल डिग्री पर ध्यान केंद्रित नहीं किया गया है बल्कि छात्रों की आंतरिक प्रतिभा, ज्ञान, कौशल और योग्यता को भी उचित प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा कि यह समय-समय पर युवा विद्वानों और छात्रों को उनकी व्यक्तिगत योग्यता तथा परिस्थितियों के अनुसार अपने विकल्पों का निर्धारण करने के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करता है।
उन्होंने कहा एनईपी की शुरूआत एक बहु-विषयक दृष्टिकोण आपनाकर भारत की शिक्षा प्रणाली का रूपांतरण करने के लिए की गई थी। शिक्षा मंत्रालय की एक आंतरिक प्रगति रिपोर्ट के अनुसार, 29 जुलाई, 2022 को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू होने के दो वर्ष पूरे होने के साथ, अबतक 28 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) में 2,774 अभिनव परिषदों की स्थापना की जा चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार, उच्च शिक्षा में 2,000 संस्थानों को कौशल हब के रूप में परिवर्तित किया जा रहा है और इनमें से 700 संस्थान कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के सामान्य पोर्टल पर अपना पंजीकरण करा चुके हैं।
साथियों बात अगर हम शिक्षक दिवस के इतिहास की करें तो, हम जानते हैं कि भारत में शिक्षक दिवस को हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है। इस तारीख के पीछे विशेष कारण है, इस दिन सन् 1888 को स्वतंत्र भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। वे दूसरे राष्ट्रपति होने के अलावा पहले उपराष्ट्रपति, एक दार्शनिक, प्रसिद्ध विद्वान, भारत रत्न प्राप्तकर्ता, भारतीय संस्कृति के संवाहक, शिक्षाविद और हिन्दू विचारक थे। उनका हमेशा से मानना था कि शिक्षा के प्रति सभी को समर्पित रहना चाहिए, निरंतर सीखने की प्रवृत्ति बनी रहनी चाहिए, जिस व्यक्ति के पास ज्ञान और कौशल दोनों हैं उसके सामने हमेशा कोई न कोई मार्ग खुला रहता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि शिक्षक दिवस 5 सितंबर 2022 पर विशेष है। आओ शिक्षा का दीप प्रज्वलित करें। फल फूल रखो प्रभु के आगे तो प्रसाद बन जाता है, शिष्य झुके शिक्षक रूपी गुरु के आगे तो इंसान बन जाता है।भारत की शिक्षा नीति को वैश्विक मानकों पर पुनर्स्थापित करना विश्व गुरु बनने की नीव है, जिसपर भारत चल पड़ा है।
*-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*