-बाजार व सरकारी क्रय केन्द्र पर एक समान मूल्य होने से किसान नहीं दिखा रहे रूचि
लखनऊ। इस सत्र में शासन द्वारा गेहूं खरीदने के लिए निर्धारित लक्ष्य का 10 प्रतिशत भी पूरा होना मुश्किल है। इसका कारण है बाजार मूल्य सरकारी मूल्य के बराबर है। इस कारण किसान सरकारी क्रय केन्द्र में रूचि नहीं दिखा रहे हैं। यही कारण है कि मात्र दो सप्ताह तक गेहूं खरीद होनी है लेकिन 60 लाख मीट्रिक टन के लक्ष्य की अपेक्षा दो जून तक प्रदेश में 189028.066 मी0 टन गेहूं खरीद हो पायी है। यदि दूसरी एजेंसियों का भी जोड़ लें तो अब तक पांच प्रतिशत भी खरीद नहीं हो पायी है।
वहीं पिछले वर्ष स्थिति यह थी कि सरकारी क्रय केन्द्रों पर किसान लाइन लगाये रहते थे। गेहूं खरीद के लिए किसानों को सिफारिशें भी लगवानी पड़ रही थी। इसके बावजूद बहुतेरे किसान सरकारी क्रय केन्द्र पर गेहूं बेच नहीं सके। शुक्रवार को प्रदेश के सहकारिता मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयेन्द्र प्रताप सिंह राठौर ने बताया कि प्रदेश में सहकारिता विभाग के खुले 4478 क्रय केन्द्रों पर केन्द्र प्रभारियों द्वारा गेहूं खरीद की जा रही है। सभी केन्द्रों पर किसानों के बैठने के लिए छांव, पीने के लिए पानी, छनाई के लिए छलना, बोरे आदि समस्त व्यवस्थायें की गई हैं।
श्री राठौर ने बताया कि प्रदेश में अब तक सहकारिता विभाग द्वारा 49,402 किसानों से 189028.066 मी0 टन गेहूं खरीदा गया, जिसमें रु0 34412.05 लाख का भुगतान किया जा चुका है।