हैंडपंप रिबोर आया भ्रष्टाचार के दायरे में
क्या गांवों आया पेयजल संकट
पवन कुमार सिंह
सीतापुर।लहरपुर के जगमालपुर में बड़े घोटाले होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं और परत दर परत यह घोटाले खुलते जा रहे हैं वर्ष 2022-23 का अगर घोटाले पर नजर कराएं तो एक बड़ा अमाउंट हैंडपंप रिबोर के नाम पर निकाला गया है जबकि बातें हो रही हैं स्थानीय स्तर पर कि किसी भी हैंडपंप को रिबोर नहीं कराया गया और जबकि इस मामले में ग्राम पंचायत अधिकारी सत्येन्द्र कुमार वर्मा के सहयोग से 15वें वित्त के तहत 1,00,000 , 50,000 , 76,995 , 50,000 , 50,000 , 50,000 , 50,000 ₹ दर्शाया गया। यह बातें हो रही हैं अगर यह सभी हैंड पंप की जांच करा ली जाए और पता कर लिया जाए तो यह बड़ा घोटाला सामने आ सकता है। जिस तरीके से बड़े पैमाने पर इतने बड़े अमाउंट बार-बार हैंडपंप रिबोर के नाम पर दर्शाए गए हैं यह एक बड़े घोटाले की तरफ इशारा कर रही हैं तो क्या इतने बड़े पैमाने पर हुआ हैंडपंप रिबोर खर्चा सिर्फ दिखाने के लिए हुआ है असल मकसद आपस में बंदरबांट का है अगर घोटाला हुआ है तो सरकार के दिशा-निर्देशों की खुली धज्जियां उड़ाई गई। बताते चलें इस पर अगर जांच की जाए तो यह तय हो जाता है की सचिव और प्रधान की मिलीभगत शामिल क्योंकि जो अमाउंट दिखाया गया इतने बड़े पैमाने पर क्या जल संकट आ गया है जगमालपुर ग्राम पंचायत में जबकि ऐसा नहीं है अगर जांच कराई जाए तो बड़ा भ्रष्टाचार उजागर किया जा सकता है और भ्रष्टाचार के तथ्य सामने आ जाएंगे और इस मामले पर जो भ्रष्टाचार दिखाई पड़ रहा है प्रधान और सचिव दोनों पर जांच होने के बाद कार्यवाही हो सकती है। हैंडपंप रिबोर नहीं कराए गए ऐसी बहुत सी चर्चाएं हो रही है, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि बड़ा घोटाला हुआ है अब देखना यह है कि इसको अधिकारी किस नजरिए से देखते हैं क्योंकि अधिकारियों ने अगर इस ओर निष्पक्षता से जांच कराई तो कार्यवाही पक्की हो जाती है। क्या इस भ्रष्टाचार पर कोई कार्यवाही होगी, या मामले पर मिट्टी डालने का प्रयास होगा,यह उच्च अधिकारियों की कार्यशैली पर निर्भर करता है।
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बाक्स-1
हैंडपंप मरम्मत के बाद हैंडपंप निर्माण भी आया संदेह में
सीतापुर। ग्राम पंचायत निबौरी में शासन की योजनाओं का किस तरीके से पलीता लगाया जा रहा है यह बखूबी सचिव सत्येंद्र कुमार वर्मा की ग्राम पंचायतों में आकर देखा जा सकता है यहां पर 15वें वित्त के तहत 4,01,440 व 30,000 हैंडपंप मरम्मत के नाम पर ऑनलाइन दस्तावेजों में दर्शाया गया है इसके बाद भी कलम यहां नहीं रुकी बल्कि आगे बढ़ चली और अब नया भ्रष्टाचार का दूसरा पिटारा भी खुल चुका है। बताते हैं कि 15वें वित्त के अन्तर्गत हैंडपंप निर्माण के नाम पर भी ग्राम पंचायत निबौरी में1,42,228 ₹ के ऑनलाइन दस्तावेजों से पता चला है। यहां एक सवाल बन चुका है कि हैंडपंप निर्माण और मरम्मत और रिबोर के नाम पर ग्राम पंचायतों में जिस तरीके से बड़े बड़े अमाउंट निकाले गए यह अपने आप में हैरतअंगेज करने वाले हैं क्या सभी ग्राम पंचायतों में इतने बड़े पैमाने पर पेयजल संकट आ चुका है यह सारा संदेह के घेरे में आता है लेकिन अधिकारियों की चुप्पी बनी हुई है, क्या इस भ्रष्टाचार को अधिकारियों की मूक सहमति समझा जा सकता है। तो फिर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है अगर इस मामले को गंभीरता से लिया जाए और जिस तरीके से पेयजल को ढाल बनाकर पैसा बनाने की तैयारी की जा रही ग्राम पंचायतों में तो बड़ा भ्रष्टाचार होने से रोका जा सकता है।लेकिन अगर इसपर अधिकारी शासन के प्रति ईमानदारी से निष्पक्ष तरह से जांच कर कार्यवाही को अमल में लाएं।
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बाक्स-2
ग्राम पंचायत अधिकारी सत्येंद्र कुमार वर्मा भी प्रधानों साथ मिल कर हुए मालामाल
सीतापुर। जिस तरीके से ग्राम पंचायतों में बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा हो रहा है यह एक बड़ा सवाल बन जाता है सरकारी अधिकारी और कर्मचारी की निष्पक्षता पर और कामकाज पर यह उन्हीं पर निर्भर करता है क्योंकि वह सरकार के प्रतिनिधि हैं। लेकिन जिस तरीके से भ्रष्टाचार उजागर हो रहा है उससे यह कहा जा सकता है ग्राम पंचायतों में हो रही हेरा फेरी के ग्राम पंचायत अधिकारी सत्येंद्र कुमार वर्मा क्या सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। अब बात आती है कि अगर मामले की जांच हो जाए तो सत्येंद्र कुमार वर्मा ग्राम पंचायत अधिकारी की कुर्सी से हाथ धो बैठेंगे साथ ही बड़े भ्रष्टाचार उजागर होने पर कार्यवाही हो सकती है।