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कुरौली गांव के किसानों की फसलों को अन्ना बना रहे पेट का निबाला समीपस्थ गांवों में दर्जनों की संख्या में विचरण करते आवारा पशु

 

कुठौंद जालौन- कुरौली गांव के किसान आजकल अन्ना जानवरों के आतंक से इस कदर त्रस्त हो चुके हैं वह अब खेतों में लहलहाती फसलों के सुरक्षित रखने के लिये दिन ही नहीं बल्कि रात्रि जागरण कर चैबीस घंटे खेतों की पहरेदारी करते देखे जा रहे हैं। गांव के किसानों ने बताया कि समीपस्थ गांव के किसान अपने गांव के अन्ना जानवरों को हमारे गांव की ओर हांक देते हैं जिससे वह हमारे खेतों की फसलों को अपने पेट का निबाला बना रहे हैं।

अन्ना जानवरों से चैबीस घंटे जूझते किसानों ने बताया कि आसपास के गांवों में गौशाला संचालन की व्यवस्थायें सही न होने की वजह से वहां के लोग मौका ताड़कर अपने गांवों के आवारा पशुओं को हमारे गांव की ओर हांक देते हैं। इस बारे में अनेकों बार एक दूसरे गांवों के किसानों के साथ कहासुनी तक हो चुकी है। लेकिन इसके बाद भी हम किसानों के सामने समस्या ज्यों की त्यों बनी हुयी है। क्षेत्र से आवारा जानवरों को पकड़कर उन्हें गौशालाओं में बंद किया जाये ताकि हम किसानों की फसलें सुरक्षित रह सके। शासन द्वारा गौशाला संचालित की जा रही है फिर भी ग्राम प्रधानों द्वारा इसमें सक्रियता नाल आने के कारण लापरवाही नजर आ रही है। यदि ऐसा ही रवैया चलता रहा तो किसान व किसानों के परिवार के सदस्य भूखों मरने लगेंगे। इसलिए सभी ग्राम पंचायत के प्रधानों का यह दायित्व बनता है। कि किसी भी किसानों के खेतों की फसल को नुकसान ना पहुंच सके ताकि उनके खेतों में उपज पैदा हो सके। और उसी अनाज से किसान अपने परिवार का जीवन यापन करते हैं। शासन प्रशासन को बड़े ध्यानाकर्षण के अनुसार ग्राम पंचायतों में की जा रही गौशाला संचालित व्यवस्था को बारीकी से निरीक्षण किया जाए। अन्ना जानवरों के आतंक से परेशान हो चुके किसानों का कहना था कि महंगाई के इस दौर में बीज से लेकर खाद व पानी व जुताई में इतनी लागत लगानी पड़ती फिर भी अपने खेतों को हरा भरा करने का प्रयास रखते हैं। यदि किसान के खेतों में अनाज पैदा नहीं होगा तो उनके परिवार का जीवन यापन कैसे होगा।

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